Love Story भारत के इतिहास में आपने अनगिनत प्रेम कहानियां पढ़ी होंगी। पवित्र प्रेम के लिए संघर्ष और बलिदान के उदाहरण भी मिल जायेंगे लेकिन क्रूर राजा की ऎसी मोहब्बत जिसमें वो होश खो बैठे क्या आपने पढ़ी है ? चलिए एक ऐसी ही दास्तान आपको बताते हैं। औरंगजेब सबसे क्रूर मुगल बादशाह माना गया. उसने 49 सालों तक भारत पर शासन किया और छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी के साथ तो क्रूरता की हदें पार कर दी थीं. फिर भी उसके सीने में भी दिल धड़कता था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उसे दक्कन (दक्षिण) का गवर्नर बना कर भेजा गया और उसकी मुलाकात हीराबाई नामक हरम की एक दासी से हुई तो उसे देखकर बेहोश हो गया.क्या थी वो प्रेम कहानी आपको सुनाते हैं ….
औरंगजेब और हीराबाई की कहानी Love Story
यह कहानी उस वक्त की है, तब हिन्दुस्तान का बादशाह शाहजहां था और उसने अपने 35 साल के बेटे औरंगजेब को दक्कन का गवर्नर बना कर भेजा था. औरंगजेब का दक्कन के गवर्नर के रूप में यह दूसरा कार्यकाल था और वह अपना पद संभालने के लिए औरंगाबाद जा रहा था. रास्ते में मध्य प्रदेश में ताप्ती के किनारे बुरहानपुर पड़ता है. वहां औरंगजेब की मौसी सुहेला बानो रहती थीं. औरंगाबाद जाते समय औरंगजेब अपनी मौसी से मिलने के लिए बुरहानपुर में रुक गया. उसके मौसा मीर खलील खान-ए-जमान थे.मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ‘गुबार-ए-खातिर’ की रचना की है. इसमें नवाब शम्स-उद-दौला शाहनवाज खान और उनके बेटे अब्दुल हयी खान की किताब ‘मासर-अल-उमरा’ का जिक्र मिलता है. इस किताब में बताया गया है कि औरंगजेब बुरहानपुर के जैनाबाद में स्थित बाग आहू खाना टहल रहा था, तभी उसकी मौसी भी अपनी दासियों के टहलने आ गई. मौसी के साथ आईं दासियों में से एक को औरंगजेब ने देखा तो देखता ही रह गया.

देखते ही बैठा और बेहोश होकर गिर गया
हमीदुद्दीन खान ने औरंगजेब की जीवनी लिखी है. इसमें लिखा है कि मौसी के घर में हरम की महिलाओं को औरंगजेब की नजर से दूर रखने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया और एक दिन वह बिना बताए घर में घुस गए. उस वक्त सैर के दौरान मिली वही दासी एक पेड़ की डाली पकड़ कर धीरे-धीरे गा रही थी. दासी का नाम था हीराबाई पर सब जैनाबादी के नाम से पुकारते थे.जैनाबादी को देखते ही औरंगजेब बैठ गया और फिर बेहोश हो गया. बताया जाता है कि इसकी सूचना मिलने पर औरंगजेब की मौसी नंगे पैर दौड़ पड़ी और उनको गले से लगाकर रोने लगी. हालांकि, कुछ ही क्षण में औरंगजेब को होश आ गया.

मौसा से बदले में किया था हासिल
बाद में औरंगजेब ने अपनी मौसी को सारी बात बताई तो उसने कहा कि मौसा मीर खलील खान-ए-जमान काफी खतरनाक है और यह बात जान कर वह मुझे मार डालेगा. हीराबाई की भी जान ले लेगा. इस पर औरंगजेब ने कहा कि वह किसी और तरीके से मौसा से बात करेगा और मुर्शिद कुली खान के जरिए खान-ए-जमान तक अपनी बात पहुंचाई.एक रिपोर्ट में बताया गया है कि खान-ए-जमान ने इस बात के बदले कहा कि वह औरंगजेब के हरम से हीराबाई के बदले चित्राबाई को उसे सौंप दे. कुछ इतिहासकार इस लेन-देन से सहमत नहीं हैं पर इस बात पर सब एकमत हैं कि औरंगजेब को पहली नजर में मोहब्बत हुई थी. उसने अपनी मौसी की मिन्नत कर हीराबाई को हासिल भी कर लिया था. वहीं, कुछ का कहना है कि उसने चित्राबाई के बदले हीराबाई को हासिल किया था.

हीराबाई का असली नाम बदलने का भी एक किस्सा है. इतिहासकार यदुनाथ सरकार की मानें तो अकबर के समय में एक नियम बनाया गया था. इसके अनुसार हरम की महिलाओं को सार्वजनिक रूप से असली नाम से नहीं पुकारा जाता था. उनका नाम उनके शहर या जन्म स्थान के नाम पर रख दिया जाता था. इसलिए जब हीराबाई औरंगजेब के हरम में पहुंची तो जैनाबाद से होने के कारण उसका नाम जैनाबादी महल हो गया.बताया जाता है कि औरंगजेब की इस मोहब्बत की खबरें शाहजहां तक भी पहुंच रही थीं. इतिहासकार रामानंद चटर्जी ने लिखा है कि औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह ने इस घटना के बारे में अपने पिता शाहजहां को बताया था. कहा जाता है कि दारा शिकोह ने बाकायदा शिकायत की थी कि मौसी के घर की एक दासी के लिए औरंगजेब बर्बाद हो रहा है. बताया जाता है कि नवंबर 1653 में औरंगजेब के साथ हीराबाई दौलताबाद भी गई थी. हालांकि, साल 1654 में उसकी मृत्यु हो गई.
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