lung screaming Impact क्या आपको पता है कि खुशी से चिल्लाना भी जानलेवा हो सकता है? हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि because चीन में ऐसा ही एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. खुशी से चिल्लाने की वजह से यहां एक लड़के का फेफड़ा ही फट गया. बड़ी मुश्किल से डॉक्टरों ने उसकी जान बचाई.एम्स दिल्ली में क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के डॉक्टर ने मीडिया को बताया कि तेज चिल्लाने से लंग्स के फटने और हार्ट अटैक का खतरा रहता है.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चिल्लाने के दौरान व्यक्ति सांस तेजी से खींचता है.
lung screaming Impact क्या होती है न्यूमोथोरैक्स बीमारी

इस कारण फेफड़े जरूरत से ज्यादा एक्सपैंड हो जाते हैं और उनमें हवा भर जाती है. जिससे लंग्स में मौजूद छोटी-छोटी झिल्ली पर प्रेशर बढ़ता है और उनमें छेद हो जाता है. जिससे झिल्ली फट जाती है. इस वजह से फेफड़ों में सही तरह से ऑक्सीजन नहीं जा पाती जिससे सांस लेने में परेशानी हो जाती है, जो मौत का कारण बन सकती है. lung screaming Impact इस मेडिकल कंडीशन को न्यूमोथोरैक्स कहते हैं.
डॉ बताते हैं कि न्यूमोथोरैक्स बीमारी के होने के दो कारण है. पहला प्राइमरी और दूसरा सेकेंडरी है. प्राइमरी यानी अगर if किसी व्यक्ति को पहले से फेफड़ों की कोई बीमारी नहीं है तो किसी फिजिकल एक्टिविटी अचानक से लंग्स में हवा भर जाती है और छोटी-छोटी गुब्बारे जैसी झिल्ली फट जाती है.

सेकेंडरी न्यूमोथोरैक्स उन लोगों को होती है जिनको पहले से ही अस्थमा या सीओपीडी जैसी कोई गंभीर बीमारी होती है. ऐसे लोगों में न्यूमोथोरैक्स होने का खतरा ज्यादा रहता है. इनमें भी ये बीमारी वैसी ही परेशानी करती है जैसा like प्राइमरी न्यूमोथोरैक्स में होता है. ऐसे मरीजों को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है.
हार्ट अटैक का भी रहता है खतरा
कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ. बताते हैं कि न्यूमोथोरैक्स के कारण ब्लड प्रेशर अचानक से गिरने लगता है. इसका सीधा असर हार्ट के फंक्शन पर पड़ता है. ऐसे में हार्ट अटैक या फिर कार्डियक अरेस्ट आने का खतरा बढ़ जाता है. शरीर में ऑक्सीजन की कमी से भी दिल के फंक्शन पर असर पड़ता है. इससे मरीज की नब्ज धीरे-धीरे गिरने लगती है और वह बेहोश हो जाता है. इस स्थिति में तुरंत sudden इलाज की जरूरत पड़ती है. देरी होने से मौत का खतरा तक रहता है.

तुरंत ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है
डॉ बताते हैं कि लंग्स में अधिक हवा भरने पर मरीज के ऑपरेशन की जरूरत होती है. इस सर्जरी को आईसीडी कहते हैं.हांलाकि although इसके जरिए तुरंत हवा को निकाला जाता है. जब दिखता है कि हवा निकलनी बंद हो गई है तो उस एरिया को सील किया जाता है. कुछ मामलों में मरीज को कई तरह की दवाएं भी दी जाती है.
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