Marriage Traditions कभी शादी को ‘सात जन्मों का बंधन’ माना जाता था, लेकिन आज के समय में इस रिश्ते को लेकर सोच धीरे-धीरे बदल रही है. पहले जहां समाज में शादी टूटना एक बड़ी बात मानी जाती थी, वहीं अब महिलाएं बिना सामाजिक दबाव के अपने फैसले खुद लेने लगी हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्यों आज के समय में रिश्ते टिक नहीं पा रहे? आइए जानते हैं इस बदलते नजरिए की असली वजहें.
पहले मजबूरी थी, अब है च्वाइस Marriage Traditions
बीते समय में महिलाओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं थे. न तो वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र थीं और न ही उन्हें सामाजिक समर्थन मिलता था. शादी अगर अच्छी भी नहीं होती, तब भी महिलाएं उसमें बनी रहती थीं क्योंकि यही उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का एकमात्र सहारा था. लेकिन आज महिलाएं खुद फैसले लेने के लिए सक्षम हैं. अब उन्हें मजबूरी में रिश्ते निभाने की जरूरत नहीं, वे अपनी खुशी को प्राथमिकता देती हैं.
अब भावनाएं भी हैं जरूरी
पहले अगर पति बुरा व्यवहार नहीं करता था, तो यह एक ‘अच्छे पति’ की परिभाषा मानी जाती थी. लेकिन अब महिलाएं सिर्फ इतना नहीं चाहतीं. आज वे भावनात्मक जुड़ाव, साझेदारी और बराबरी की उम्मीद करती हैं. जब ये चीजें रिश्ते में नहीं मिलतीं, तो महिलाएं खुद से सवाल पूछने लगती हैं — और कई बार खुद के लिए अलग रास्ता भी चुन लेती हैं.
तलाक अब अपराध नहीं, हक है
अब तलाक को समाज की नजर में कलंक नहीं, बल्कि एक साहसिक और सोच-समझकर लिया गया फैसला माना जाता है. महिलाएं अब इस बात से डरती नहीं हैं कि लोग क्या कहेंगे. वे जानती हैं कि उनकी खुशी और मानसिक शांति किसी भी सामाजिक दबाव से ज्यादा मायने रखती है.
बच्चों के लिए नहीं सहतीं दर्द
अक्सर यह कहा जाता है कि महिलाएं बच्चों के लिए खुद को दुख में डालकर रिश्ते निभाती हैं. लेकिन आज की महिलाएं समझने लगी हैं कि बच्चों को दिखावे वाली ‘परफेक्ट फैमिली’ की जरूरत नहीं है, उन्हें एक सकारात्मक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ माहौल चाहिए. जब महिलाएं खुद की शांति और सम्मान को तरजीह देती हैं, वे बच्चों को भी एक जरूरी जीवन मूल्य सिखा रही होती हैं.
अकेलापन भी एक कारण
तलाक की एक आम वजह यह भी है कि कई महिलाएं अपने रिश्ते में खुद को अकेला महसूस करती हैं. वे यह नहीं चाहतीं कि सिर्फ इसलिए शादी में बनी रहें क्योंकि पति उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं कर रहा. अगर भावनात्मक जुड़ाव खत्म हो जाता है, तो भी रिश्ते टूटने लगते हैं.
बदलाव का संकेत
यह कहना कि अब शादी टूट रही है, पूरी सच्चाई नहीं है. दरअसल, अब महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं. वे अपनी जरूरतों और खुशियों को पहचानती हैं. यह बदलाव कोई संकट नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है — जहां महिलाएं मजबूरी में नहीं, बल्कि प्यार, सम्मान और साझेदारी की तलाश में रिश्ते निभाना चाहती हैं.