Water Wives: जिस पानी को आप रोजाना जाने अनजाने बर्बाद करके भूल जाते हैं उस पानी की कीमत क्या है ये आज हम आपको बता रहे हैं। आज डिजिटल युग में भी देश के कई हिस्से में साफ़ और पर्याप्त पिने का पानी मिलना किसी खजाने के मिलने से कम नहीं है। इसी पानी के लिए कितनी जद्दोजहद होती है इसका अंदाजा आप पश्चिमी महाराष्ट्र का एक दौरा कर आसानी से लगा सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पश्चिमी महाराष्ट्र में देंगमाल गांव के लड़के एक नहीं बल्कि कई शादिया करते हैं। यहां के लड़के कई शादियां इसलिए नहीं करते क्योंकि यहां ऐसी कोई प्रथा है बल्कि वो इसलिए करते हैं ताकि घर में पीने का पानी लाया जा सके।
Water Wives: रिवाज को पंचायत ने भी दी है मंजूरी
दरअसल पश्चिमी महाराष्ट्र का देंगमाल गांव विदर्भ के सूखाग्रस्त क्षेत्र में आता है और कई सालों से यहां के लड़के ऐसा ही करते आ रहे हैं। अगर गांव का कोई लड़का तीन लड़कियों से शादी करता है तो सिर्फ पहली को ही पत्नी का दर्जा मिलता है बाकी कि दो पानी वाली बाई कहलाती हैं। गांव में ऐसा प्रचलन इसलिए है क्योंकि यहां कोई नल नहीं है और पानी लाने के लिए तीन किलोमीटर दूर तक चलकर जाना पड़ता है। हालांकि पहली पत्नी का भी एक दायित्व होता है कि वो अपने पति की बाकी पत्नियों का ध्यान रखे। कई बार तो कई पत्नियों के कराण झगड़े भी होते हैं, लेकिन इन सबों के बीच लड़कियां दूसरी और तीसरी पत्नी बनकर खुश रहती हैं। अब तो लगभग पूरे गांव के लड़के इस परंपरा को मानते हैं।
Water Wives: बहुत छोटा इलाका है देंगमाल-
देंगमाल पश्चिमी महाराष्ट्र का बेहद छोटा गांव है जहां करीब 500 से 600 लोग रहते हैं और लगभग हर कोई एक दूसरे को जानता है। इस गांव के रहने वाले सखाराम भगत ने भी तीन शादियां की हैं। भगत की पहली पत्नी तुकी को पत्नी का दर्जा मिला है बाकी की दो पानी वाली बाई कहलाती हैं। भगत के परिवार में हैरारकी (पदसोपान) तय है कि तुकी को ऊंचा दर्जा हासिल है। बाकी दो पत्नियां सखरी और भग्गी का नंबर उनके बाद आता है।
दूसरी या तीसरी पत्नी बनने की हैं शर्ते – लड़की पैदा होने पर मनाते है खुशी
दूसरी या तीसरी पत्नी वही बनती हैं, जिनके पति की या तो मौत हो चुकी हो या फिर पति ने उन्हें छोड़ दिया हो। गांव में इन महिलाओं को पानी वाली बाई कहा जाता है क्योंकि वो सिर्फ पानी लाने का काम करती हैं। गांव में लड़की के जन्म पर खुशी मनाई जाती है, क्योंकि माना जाता है कि पानी भरने के लिए एक और आ गया। साथ ही, ये औरतें उम्मीद भी करती हैं कि जब उनकी बेटियां बड़ी होंगी तो उनके गांव में भी नल होंगे।