Special Story By – Anita Tiwari , Dehradun
Tapiocacan Generated Electricity देश भर में बिजली संकट है , लोग कटौती से त्राहिमाम कर रहे हैं। ऊर्जा विभाग बिजली बचाने की अपील कर रहा है ऐसे में एक बड़ी खोज अगर आगे बढ़ी तो देश में बिजली उत्पादन के नए रास्ते खुल सकते हैं।
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Tapiocacan Generated Electricity ऐसे आया बिजली बनाने का विचार
- भारत के दक्षिण राज्य केरल में ‘टैपिओका’ की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है… इसे कसावा या युका भी कहा जाता है… अगर आप टैपिओका के बारे में नहीं जानते है तो हम आपको बता दें कि ये वही पेड़ है जिससे साबूदाना बनाया जाता है। मतलब ये है कि जिस जड़ से ही साबूदाना बनता है अब वो बिजली बनाएगी .. Tapiocacan Generated Electricity खैर यहां हम साबूदाना के बारे में नहीं बल्कि टैपिओका के पत्तों से बिजली बनाए जाने के बारे में बात करने जा रहे हैं.. जी हां, तिरुवनंतपुरम स्थित केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान (सीटीसीआरआई) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इसके पत्तों से बिजली पैदा करने की तकनीक विकसित की है…
- सीटीसीआरआई के वैज्ञानिकों का यह आविष्कार स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लिए भारत की पहल को नई गति प्रदान कर सकता है… वैज्ञानिकों की इस टीम का नेतृत्व डॉ. सीए जयप्रकाश ने किया है….यह संस्थान पिछले कई वर्षों से टैपिओका के पत्तों से जैव कीटनाशक उत्पदान में लगा हुआ है और अबतक तीन ब्रांड विकसित किए हैं- ‘ननमा’, ‘मेनमा’ और ‘श्रेया’. इसी क्रम में जयप्रकाश को कसावा के पत्तों से बिजली पैदा करने का विचार आया…
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- Tapiocacan Generated Electricity इस रिसर्च में में डॉ. राजलक्ष्मी और पीएचडी छात्र श्रीजीत एस और जोसेफ टॉम ने अहम भूमिका निभाई है… उन्होंने बताया कि फिलहाल 7 किलो कसावा के पत्तों के कचरे से 1 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है… जयप्रकाश का मानना है कि भविष्य में यह टैपिओका किसानों के लिए आय एक अतिरिक्त स्रोत हो सकता है… इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुतबिक, जयप्रकाश ने बताया कि पत्तों से कीटनाशक अणुओ को निकालने के बाद जैव अवशिष्ट बच जाता था,.. लिहाजा उन्होंने सोचा कि क्यों न इस बचे हुए अवशिष्ट का बिजली बनाने में इस्तेमाल किया जाए…
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Tapiocacan Generated Electricity माइक्रोबायोलॉजिस्ट से ली सलाह
- जयप्रकाश वैज्ञानिक भाषा को सरल तरीके से बताते हुए कहते हैं ‘बचे हुए जैव अवशिष्ट से मिथेन का उत्पादन आम बात है…. लेकिन उनमें सेल्यूलोज हेमिकेलुलोज और लिग्गिनन की उपस्थिति के कारण पत्तियां मीथेन उत्पादन के लिए एक आम स्रोत नही है… फिर भी मैं संभावनाओं का पता लगाने के लिए कचरे को एक विशेषज्ञ माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पास ले गया …
Tapiocacan Generated Electricity ऐसे पैदा की बिजली
![Tapiocacan Generated Electricity ऐसे पैदा की बिजली](https://www.shininguttarakhandnews.com/wp-content/uploads/2022/05/casava-300x158.jpg)
- Tapiocacan Generated Electricity उन्होंने आगे बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनआईआईएसटी) के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण कुमार बी. ने पाया कि निष्कर्षण कचरे में मीथेनोजेनिक बैक्टीरिया अच्छी तरह से विकसित हुए हैं और यह जानकारी हमारे रिसर्च के लिए बेहद अहम साबित हुई… फिर बाद में बचे हुए उत्सर्जन से कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोसल्फाइड के अंशों को खत्म करने का तरीका भी उन्होंने खोज निकाला… अंत में मीथेन को एक जगह एकत्र किया गया और पावर हॉक बायोगैस जेनरेटक की मदद से बिजली पैदा किया गया….
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