देहरादून से अनीता आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
Tota Ghati History अद्भुत , रोमांचक पहाड़ , हरे भरे रास्ते और नदियों का कोलाहल देवभूमि आने पर आपको रोमांचित कर देगा , ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग से आप अक्सर फर्राटा भरते होंगे , घुमावदार दिलकश वादियो को निहारते हुए तोताघाटी की चट्टानों के बीच से गुजरने का अनुभव जितना रोमांचकारी है, उतनी ही रोचक यहां सड़क निर्माण से जुड़ी कहानी है।लेकिन but 40 के दशक में इन कठोर चट्टानों को तोड़कर सड़क निर्माण की चुनौती और इस जगह के नामकरण का इतिहास आपको रोमांचित करेगा।
शाइनिंग उत्तराखंड की ज्ञान यात्रा में तोता घाटी Tota Ghati History
व्यासी के बाद और साकनीधार से पहले पड़ने वाली इस पहाड़ी ने 40 के दशक में ठेकेदार तोता सिंह की परीक्षा ली थी। जब ऋषिकेश से देवप्रयाग मार्ग का निर्माण शुरू हुआ तो इस जगह पर हार्ड रॉक होने के कारण किसी भी ठेकेदार ने उस रेट पर टेंडर लेने से इनकार कर दिया। क्योंकि because यहां पर सड़क बनाना आसान नहीं था। तब तोता सिंह नामक ठेकेदार उसी रेट पर इस शर्त पर सड़क बनाने को तैयार हुए कि इस जगह का नामकरण उनके नाम पर किया जाए।
बताते हैं कि तोता सिंह को इस जगह पर सड़क बनाने में भारी घाटा हुआ। तोता सिंह ने अपनी सारी जमापूंजी लगा दी और वह सड़क बनाने में सफल रहे। तब से ही इस जगह का नाम तोताघाटी रखा गया। खास बात यह है कि यह नाम केवल बोलचाल में नहीं, बल्कि although राजपत्र में भी दर्ज है। इससे पहले जब हाईवे चौड़ीकरण का काम हुआ, तब भी इस जगह के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई। अब ऑलवेदर रोड निर्माण के दौरान इस पूरी पहाड़ी को काट दिया गया है। आज के दौर में जब अत्याधुनिक मशीनें और तकनीक है, तब भी इस पहाड़ी को काटने में कंस्ट्रक्शन कंपनी को बहुत पसीना बहाना पड़ा।
..और तोता सिंह का नाम पड़ गया था ‘लाट साहब’
इस जगह पर सड़क बनाने के लिए अपनी जमापूंजी लगाने वाले ठेकेदार का पूरा नाम तोता सिंह रांगड़ था। यह मार्ग ऋषिकेश से देवप्रयाग तक टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह ने संवत 1988 से 1991 में दीवान आईपीएस पंडित चक्रधर जुयाल की देखरेख में बनाया था। यानी की यह मार्ग 1931 में बनना शुरू हुआ और 1935 में बनकर तैयार हो गया था। इसका पता ऋषिकेश में कैलाश गेट के पास कैलाश आश्रम की बाउंड्रीवाल पर लगे पत्थर से चलता है। तोताघाटी में सड़क बनाने वाले ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ टिहरी जिले के प्रताप नगर ब्लॉक की भदूरा पट्टी के रौणिया गांव के रहने वाले थे।
उनके परिजन बताते हैं कि तोता घाटी में सड़क बनाना आसान नहीं था। इसे तोता सिंह ने नाक का सवाल बना दिया था। हालाँकि although उन्हें अपने सारे गहने बेचने पड़ गए थे। जब इस जगह पर सड़क बनाने में कामयाब रहे तो टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह ने उनको बुलावा भेजा। बताते हैं कि तोता सिंह, because अपनी ठेकेदारी के काम में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने राजा के निमंत्रण पर गौर ही नहीं किया। कई बार बुलाने के बाद वह दरबार में गए। बताते हैं कि तब राजा ने नाराजगी जताई और कहा कि आप तो बहुत लाट साहब बन रहे हैं। तोता सिंह ने अपने गांव जाकर यह किस्सा लोगों को सुनाया और फिर लोगों ने उनका नाम ‘लाट साहब’ ही रख दिया। 86 साल की उम्र में ठेकेदार तोता सिंह का निधन हो गया था।