Uttarakhand Politics : Congress मुक्त उत्तराखंड में किशोर से हरीश रावत तक – 1 दर्द ए सियासत Positive News Facts

Special story By – Anita Ashish Tiwari , Dehardun – 
Uttarakhand Politics राजनीति के दिलचस्प प्रयोग का अड्डा बनी उत्तराखंड इन दिनों अजीबोगरीब सियासत के बदलते रंग से दो-चार हो रही है। सोशल मीडिया में इन दिनों जो तस्वीरें भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं की तैर रही है, सिर्फ उन्हीं को आधार बना ले तो 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अगर आपको चौकाने वाले नजारे दिख जाए तो हैरान मत होइएगा।
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Uttarakhand Politics किशोर उपाध्याय एक नज़र में  –

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1996 में पार्टी संगठन चुनाव में उत्तर प्रदेश से एआईसीसी में सदस्य।
– राज्य गठन के बाद उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महामंत्री रहे।
– 2007 में भी टिहरी से विधायक बने।
– 2012 में टिहरी से चुनाव लड़े पर हारे।
– किशोर उपाध्याय 2017 में सहसपुर से चुनाव हार गए थे
– 2022 चुनाव में भाजपा जॉइन की और टिहरी से विधायक बने।
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Uttarakhand Politics राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है ना कोई दुश्मन होता है …..शायद यह बात कांग्रेस के नेताओं की समझ में आ चुकी है। तभी तो कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाले भाजपा नेताओं के साथ नजर आने लगी है कांग्रेसी युक्त भाजपा की रोचक टीम…. इस टीम में अब बात करेंगे हम राजनीति में दांव पेंच से वयस्क और नाम से किशोर टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय की……. जिनकी कुछ तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर कांग्रेसी नेताओं को कांटे की तरह चुभ रही होगी । गज़ब तो ये कि यह चुभन उस दौर में आ रही है जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तस्वीरों ने उत्तराखंड कांग्रेस से लेकर गांधी परिवार तक को संकट में डाल दिया है।
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  • Uttarakhand Politics किशोर उपाध्याय किसी ज़माने में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और  उत्तराखंड विधान सभा के सदस्य रहे हैं। जिन्हें गांधी खानदान के करीबी और किचेन कैबिनेट का चेहरा माना जाता था । लेकिन आज वही कांग्रेसी भाजपा का विधायक बन कर कांग्रेस युक्त भाजपा का सिपाही बन चुका है।  नए नए संघ कार्यकर्ता बने किशोर उपाध्याय राज्य विधानसभा चुनाव, 2007 में टिहरी विधानसभा से चुने गए थे। किशोर 2014 से 2017 तक कांग्रेस पार्टी की उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने यशपाल आर्य के बाद कांटों भरा ताज संभाला था ।
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  • उनके कार्यकाल के तहत, पार्टी में एक विद्रोह हुआ जिसमें 9 विधायको ने Uttarakhand Politics भारतीय जनता पार्टी से जुड़ कर पहाड़ की राजनीति का चेहरा बदल दिया था। 2012 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद किशोर उपाध्याय की राजनीतिक सक्रियता भी कम हो गई थी हालांकि इस दौरान उन्होंने परिपक्वता का परिचय देते हुए सधे हुए नेता की तरह कांग्रेस भवन से दूर रहे । इस दौरान वो अपनी सियासी जमीन पर पहाड़ के क्षेत्रीय मुद्दों की फसल बोने में वक़्त गुज़ार रहे थे ।
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  • Uttarakhand Politics गुज़रे ज़माने की बात याद आती है जब किशोर अधिकतर समय दिल्ली में रहते थे। लेकिन हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद किशोर उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हो रावत के इर्द-गिर्द दिखने लगे। एक वक्त ऐसा भी आया जब निर्दलीय विधायक दिनेश धनै को मंत्री बना कर उन्हें एक संकेत भी दे दिया गया ।
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  • धनै और किशोर उपाध्याय की भी राजनीतिक जमीन टिहरी है। धनै यहीं से उन्हें हराकर विधायक बने थे । उस वक़्त हालात और समीकरण बदले तो ऐसे में किशोर को पार्टी में Uttarakhand Politics महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलनी तय मानी जा रही थी।दरअसल किशोर उपाध्याय के मन में भले ही गांधी परिवार और कांग्रेस के लिए समर्पण की भावना रही हो लेकिन नजर उनकी हमेशा टॉप लेवल की राजनैतिक महत्वाकांक्षा की रही है। वह यह समझने लगे थे कि हरीश रावत, विजय बहुगुणा,  प्रीतम सिंह और चन्द खास नेताओं के बीच उनकी अपनी पहचान सिमट रही है।
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  • Uttarakhand Politics किशोर अब तक केवल टिहरी के नेता बनकर रह गए थे। लिहाजा किशोर उपाध्याय ने भी बड़ी समझदारी के साथ खुद को कांग्रेस भवन और कांग्रेस के कार्यक्रमों से अलग कर एक नई राह बनाने की ठान ली । उपाध्याय वन गुर्जरों , ग्राम पंचायतों और राज्य आंदोलन के दौरान उठाए गए मुद्दों को लेकर आगे बढ़ने लगे ।
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  • Uttarakhand Politics फिर दौर आया 2017 का जब प्रदेश में कांग्रेस हार गई और भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड बहुमत से सरकार बनी। कई नेताओं ने इस हार के लिए तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और बड़े बड़े चेहरों को गुनहगार बता दिया था। लेकिन इस दौरान भी किशोर उपाध्याय कांग्रेस से दूर ही रहे और समय-समय पर सधे अंदाज में बयान देकर कांग्रेसी होने का फर्ज निभाते रहे । एक वक्त ऐसा भी आया जब उनकी आस्था और पार्टी के प्रति निष्ठा के ऊपर ही सवाल उठने लगे जिसकी वजह थी उनका खुलकर अपने ही नेताओं पर निशाना साधना और भाजपा के नेताओं के पक्ष में नरम रुख अपनाना ।
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  • Uttarakhand Politics 2022 चुनाव से पहले बड़े वादे और दिलासे के साथ भाजपा ने उन्हें पार्टी मुख्यालय में कमल का सिपाही बनाते हुए टिहरी का टिकट भी थमा दिया। अब इसे समय कहें या किशोर उपाध्याय की किस्मत कि अचानक एक फैसले से किशोर उपाध्याय हाशिए से बाहर निकलकर सरकार बना चुकी भाजपा के सत्ताधारी विधायक बन गए।  कांग्रेस मानसिकता वाले नए नवेले भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय को उम्मीद थी कि उन्हें धामी सरकार की कैबिनेट में जगह मिलेगी और वह कांग्रेस को प्रदेश में एक तगड़ा जवाब दे सकेंगे…
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  • Uttarakhand Politics इन सबके बीच हिन्दू नव वर्ष पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पथ संचलन कार्यक्रम में जब किशोर उपाध्याय ने संघ की खाकी पेंट और दंड के साथ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया में साझा की तो लगने लगा कि खाँटी कांग्रेसी रहे किशोर अब राजनैतिक तौर पर वयस्क होने का एहसास कांग्रेस के खेमे को कराना चाहते हैं । लेकिन यही किशोर उपाध्याय हैं जिनकी रमजान के दौरान नमाजी टोपी के साथ हरीश रावत की तस्वीरें भी सोशल मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी रही है । क्योंकि एक तस्वीर हजार शब्द बयां करती हैं ।
  • Uttarakhand Politics क्योंकि अभी तक तो जो समीकरण बनते दिख रहे हैं उसमें एक वक्त किशोर के सबसे बड़े हितेषी हरीश रावत भी भाजपा के नेताओं के लिए सुपर हीरो बन चुके हैं.. क्योंकि बात तस्वीरों की हो रही है तो इन दिनों उत्तराखंड की पूरी राजनीति इन्हीं चौंकाने वाली तस्वीरों के जरिए समझी जा रही है…. कभी राजीव गांधी के साथ ली गई इस तस्वीर के मायने किशोर उपाध्याय लोगों को समझाते थे तो आज हरीश रावत सतपाल महाराज के साथ तस्वीरें साझा कर दर्द की दवा लेने की बात कह रहे हैं……
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  • Uttarakhand Politics तो क्या जो दर्द किशोर उपाध्याय लेकर भाजपा में दवा लेने गए उसी दर्द की दवा अब हरीश रावत भाजपा के शल्य चिकित्सकों से चाहते हैं….हुज़ूर , ये मर्ज राजनीति का है , यह दर्द कामयाबी की चाहत में नाकाम हुए नेताओं का है …और यह दवा आज के दौर के सबसे कामयाब अस्पताल भारतीय जनता पार्टी के एक्सपर्ट नेताओं की टीम के पास हर वक्त मौजूद रहती है…. तो देखना होगा कि किशोर उपाध्याय की तरह क्या हरीश रावत भी दर्द ए सियासत से निजात पा जाएंगे।
खबर ये भी रोचक है – हरीश रावत का भाजपा प्रेम https://shininguttarakhandnews.com/harish-rawat-bjp/
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