विवाह हिंदू धर्म में वर्णित 16 संस्कारों में शामिल है. हिंदू विवाह के दौरान कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं. हिंदू विवाह में कई रस्में बहुत भी महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं. ऐसी ही एक रस्म विवाह में सात फेरों से पहले की जाती है और ये रस्म होती है दूल्हे और दुल्हन के गठबंधन की. दूल्हे और दुल्हन के गठबंधन की रस्म ऐसी है कि इसके बिना विवाह ही पूरा नहीं माना जाता.
गठबंधन का अर्थ होता है दो लोगों का पावन संबंध जोड़ना. दुल्हन की चुनरी और दूल्हे के पटके को एक दुपट्टे के सहारे मजबूती से बांधकर गठबंधन की रस्म को पूरा किया जाता है. ये गांठ प्यार, विश्वास और साथ निभाने के वादे को दर्शाती है, इसलिए ये मान्यता है कि दूल्हे और दुल्हन का ये गठंधन कभी खुलना नहीं चाहिए. गठबंधन की इस रस्म को कभी कोई व्यक्ति नहीं निभाता.

दूल्हे की बहन निभाती है रस्म Wedding Traditions
दूल्हे और दुल्हन के गठंधन की ये रस्म हमेशा दूल्हे की बहन के द्वारा ही निभाई जाती है. दूल्हे की बहन से ये गठबंधन इसलिए कराया जाता है, क्योंकि दूल्हे की बहन अपनी भाभी को अपने परिवार में प्यार और सम्मान के साथ स्वीकारती है. विवाह दो लोगों का नहीं दो पिरवारों का होता है, दूल्हे की बहन के द्वारा किया गठबंधन इस बात का दर्शाता है. आमतौर पर पीले या गुलाबी दुपट्टे से दूल्हे दुल्हन का गठबंधन किया जाता है.

विवाह में गठबंधन का महत्व
पीले और गुलाबी रंग को बहुत ही शुभ माना जाता है. इन्हें सौभाग्य और मंगल का प्रतीक माना जाता है, इसलिए विवाह जैसी पवित्र रस्म में इनका इस्तेमाल किया जाता है. यह रस्म पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने का एक प्रतीक है. गठबंधन का मतलब एक-दूसरे का सम्मान करना, भरोसा कायम रखना और हर हालात में साथ देने और सच्चाई व पवित्रता से रिश्ता चलाने से है.

