देहरादून से अनीता आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
women voters पहाड़ का भविष्य और वर्तमान सीधा जुड़ा है महिला शक्ति से क्योंकि राज्य आंदोलन से आज 2024 लोकसभा चुनाव की दहलीज़ तक उत्तराखंडी नारियों ने फ्रंट फुट पर हर मोर्चा सम्हाला है और निर्णायक फैसला लेकर पहाड़ का भविष्य तय किया है। यही वजह है कि अबकी बार कांग्रेस की महिला ब्रिगेड बड़ी ख़ामोशी और बिना शोर गुल के घर घर पहाड़ दर पहाड़ चुनावों में महिलाओं को लोकसभा चुनाव में वोटिंग के लिए एकजुट करती दिख रही है। जिस तरह से हर सीट पर महिला वोटर का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। उससे ये साफ है कि लोकसभा चुनाव में महिलाएं ही निर्णायक होंंगे। इसी बड़े धड़े पर काम कर रही है महिला कांग्रेस अध्यक्ष jyoti rautela ज्योति रौतेला और उनकी टीम
सांसद चुनने में नारी शक्ति की अहम भूमिका रहेगी women voters

बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों जानते हैं क़ी फैसला अपने हक़ में लाना है तो महिलाओं के वोट ज़रूरी है लिहाज़ा इस दौड़ में कांग्रेस प्रचार प्रसार के शोर से दूर गाँव गाँव घर घर पहुँच कर लोगों को अपनी नीतियां और विपक्ष की खामियां बता रही है। दरअसल हर चुनाव में सियासी दलों के लिए महिला वोटर की ज्यादा अहम होती है। ऐसे में सभी महिला वोटर को टारगेट जरूर करते हैं। टिहरी लोकसभा सीट की बात करें तो देहरादून जिले में टिहरी गढ़वाल और हरिद्वार लोकसभा सीट का काफी हिस्सा शामिल है। जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के काफी करीब आ चुकी है।देहरादून की 10 विधानसभाओं में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है।प्रति 1000 पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला वोटर्स की संख्या 923 पहुंच गई है।
वहीँ स्टार प्रचारकों की चकाचौंध रैलियां , भारी भरकम रोडशो , और डिजिटल प्रचार को पहाड़ों में ज्यादा असरदार नहीं माना जाता है क्योंकि वोटर्स दुर्गम स्थानों पर रहते हैं लिहाज़ा कांग्रेस पांचों लोकसभा सीटों पर डोर टू डोर सम्पर्क करती दिख रही है। चार जिलों वाली अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट के अंतर्गत 14 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें अल्मोड़ा जिले की अल्मोड़ा, द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, सोमेश्वर, जागेश्वर, बागेश्वर जिले की बागेश्वर, कपकोट, पिथौरागढ़ जिले की पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, डीडीहाट, धारचूला, चंपावत जिले की चंपावत और लोहाघाट विधान सभा शामिल हैं। इन चौदह विधान सभाओं में कुल 13.37 लाख मतदाता हैं। इनमें 6,50,677 महिला मतदाता हैं जिसपर कांग्रेस अपनी बढ़त बनाने की कोशिश कर रही है।
अगर सियासी नब्ज़ को समझने वाले विश्लेषकों की मानें तो उत्तराखंड की सभी संसदीय सीटों की गांवों के बूथों पर महिला मतदाता ही निर्णायक होती हैं। दरअसल, पहाड़ में पलायन एक ज्वलंत समस्या है, हर चुनाव में यह राजनैतिक दलों का मुद्दा भी बनता है। होता यह है कि रोजगार की आस में पुरुष तो रोजगार की तलाश में शहरों का रुख करते हैं जबकि महिलाएं ही गांवों में रहती हैं। गांवों को बसाने और बचाए रखने में आधी आबादी का बड़ा योगदान होता है। इस वजह से त्रिस्तरीय, विधानसभा से लोकसभा चुनाव चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहता है। इस वजह से महिलाएं किसी भी राजनैतिक दल और माननीय की गणित बना और बिगाड़ सकती हैं। यही वजह है कि इस बार महिला कांग्रेस की प्रमुख ज्योति रौतेला पार्टी की पॉलिसी और घोषणा पत्र की खूबियां महिलाओं तक पहुंचाने में जुटी है।
एक नज़र डालते हैं जिले वार महिला मतदाताओं की संख्या पर
उत्तरकाशी – 118184
चमोली – 146910
रुद्रप्रयाग – 98349
टिहरी – 251338
देहरादून – 745352
हरिद्वार – 692605
पौड़ी – 279966
पिथौरागढ़ – 186825
बागेश्वर – 107043
अल्मोड़ा – 261542
चम्पावत – 98687
नैनीताल – 383558
ऊधम सिंह नगर – 641647
जिस तरह से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का एक बड़ा धड़ा पार्टी से अलविदा कर भाजपा ज्वाइन कर अपना नया भविष्य तय कर रहा है उसमें महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला कहती हैं कि इस बार चुनाव की चुनौती पार्टी के लिए कठिन ज़रूर है लेकिन बिना लडे ही हार मान लेना और कठिन वक़्त में निराश हो जाना हम महिलाओं को मंजूर नहीं है. यही वजह है कि महिला कांग्रेस अपनी पूरी दमखम के साथ सभी पांचों सीटों पर पसीना बहा रही है। नतीज़ा क्या होगा ये जनता तय करेगी लेकिन ये भी सच है कि कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती है।
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