Bank Iris Scan अभी तक बैंक से पैसे निकालने के लिए सिर्फ हस्ताक्षर की जरूरत होती थी लेकिन जल्द ही आपको अपने फेस और आँखों की रेटिना को स्कैन कराना होगा यानी गवर्नमेंट बैंक लेन-देन के लिए फेस आईडी और आईरिश स्कैनिंग की प्लानिंग कर रही है, हालांकि फेस आईडी की जरूरत सभी तरह के लेन-देन के लिए नहीं, बल्कि कुछ खास मामलों में होगी। गवर्नमेंट का मानना है कि इससे टैक्स चोरी में कमी आएगी।
Bank Iris Scan कितनी रकम पर हो सकती हैं आंखें स्कैन

- Bank Iris Scan अब आप आने वाले दिनों में ‘आंखें’ दिखाकर बैंकों से पैसा निकाल सकते हैं. रुकिये यहां आप आखें दिखाने का गलत मतलब ना निकालियेगा. यहां पर एक नियम की बात होने जा रही है, और वो है आइरिस स्कैन. जी हां, बैंक जल्द ही कुछ ट्रांजेक्शंस में अकाउंट होल्डर का Iris Scan या फिर Face Recognition के साथ पैसा दे सकते हैं. जब तक दोनों में से किसी एक में अकाउंट होल्डर वेरिफाई नहीं होगा. बैंक ट्रांजेक्शन नहीं करेगा. रॉयटर्स की रिपोर्ट के सौजन्य से खबर है कि देश के कुछ बड़े बैंकों की ओर से यह काम शुरू भी कर दिया गया है।
Bank Iris Scan क्या आ सकता है नियम

- Bank Iris Scan वास्तव में बैंक फ्रॉड और टैक्स चोरी को रोकने एवं कम करने के लिए भारत सरकार ने देश के बैंकों में फेस रिकॉग्निशन और आइरिस स्कैन का यूज करने को कहा है. रॉयटर की रिपोर्ट के अनुसार पर्सनल ट्रांजेक्शन की सालाना लिमिट खत्म होने के बाद ट्रांजेक्शन के लिए फे रिकॉग्निशन और आइरिस स्कैन का यूज किया जा सकता है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से कहा गया है कि कुछ प्राइवेट और सरकारी बैंकों की ओर से इस ऑप्शन का यूज करना शुरू भी कर दिया है. लेकिन बैंकों का नाम उजागर नहीं किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार वेरिफिकेशन के लिए फेस रिकॉग्निशन आइरिस स्कैन का यूज अनिवार्य तो नहीं है, लेकिन ये उन केसों में जरूर यूज हो रहा है, जिनमें टैक्स पर्पज में सरकारी पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड नंबर बैंकों के साथ शेयर नहीं किए गए हैं.
Bank Iris Scan कितनी रकम पर हो सकती हैं आंखें स्कैन

- Bank Iris Scan मीडिया के बड़े प्लेटफॉर्म पर छपी इस खबर में रिपोर्ट में नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर सरकारी अधिकारियों ने बताया कि आंखों का स्कैन और फेस रिकॉग्निशन का यूज एक फाइनेंशियल ईयर में 20 लाख रुपये (USD 24,478.61) से ज्यादा के डिपॉजिट और विदृड्रॉल करने वाले लोगों को वेरिफाई करने के लिए किया जा सकता है. इसका कारण है कि ऐसे केसों में लोगों से बैंकों द्वारा आधार कार्ड मांगा जाता है. आधार कार्ड में व्यक्ति की उंगलियों के निशान, चेहरे और आंखों के स्कैन से जुड़ा एक यूनीक नंबर होता है.
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