Bee Prevent Elephant Attack : हाथी , मधुमक्खी और धामी सरकार का मिशन सेफ्टी 1 Amazing Plan

Special Report By : Anita Tiwari , Dehradun 

Bee Prevent Elephant Attack उत्तराखंड की सड़कों और जंगली इलाकों के करीब बसे गाँव और बाजार में में हाथियों के हमले और फसलों को बर्बाद करने की घटनाएं आये दिन सामने आती रहती हैं। अक्सर स्थानीय लोगों पर जानलेवा हमले की वीडियो और फोटो भी सामने आती रहती है लेकिन अब एक अनोखे फार्मूले से हांथियों को भगाये जाने की योजना बनायीं गयी है। आगे आपको इस पर जानकारी दे रहे हैं।

Bee Prevent Elephant Attack बीहाइव फेंसिंग रोकेगी हाथियों की हुड़दंग

Bee Prevent Elephant Attack
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  • Bee Prevent Elephant Attack कॉर्बेट नेशनल पार्क के हाथियों को आबादी में आने से रोकने के लिए अब नया तरीका अपनाया जा रहा है। पार्क प्रशासन गांव के आस-पास बीहाइव फेंसिंग यानी मधुमक्खियों के छत्ते लगाकर हाथियों को आबादी में आने से रोकेगा। रिहायशी में घुसकर हाथी आमतौर पर हमलावर हो जाता है। हाथियों के झुंड ग्रामीणों की फसलें भी बर्बाद कर देते हैं। कॉर्बेट के करीब 1288 वर्ग किमी के दायरे में रहने वाले लोग खेती पर ही निर्भर हैं। लेकिन जंगली जानवर उनकी फसलों को बर्बाद कर देते हैं।
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  • आबादी में हाथियों के घुसने से जानमाल का खतरा हर वक्त बना रहता है। अधिकारियों के अनुसार, पार्क में पहली बार बीहाइव फेंसिंग के जरिए हाथियों को आबादी में आने से रोकने की योजना बनाई है। पार्क सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाए जाएंगे। हाथी हमेशा मधुमक्खियों से दूर भागता है। अपने आसपास मधुमक्खियों की भनक लगते ही हाथी जंगल का रुख कर लेगा।विशेषज्ञों की मानें तो कॉर्बेट पार्क से सटे गांव की सीमा पर चार से पांच फीट के पोल लगाए जाएंगे। एक पोल पर दो बॉक्स रखे जाएंगे। इनमें मधुमक्खियों का छत्ता रखा जाएगा। पोल की आपस में दूरी तीन से पांच मीटर तक होगी। विशेषज्ञ बताते हैं कि हाथी मधुमक्खियों से खौफ खाता है। वह सुरक्षित रास्ते का रुख कर लेता है।
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Bee Prevent Elephant Attack दो साल में हाथी के पांच हमले, एक की मौत

  • Bee Prevent Elephant Attack मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि कॉर्बेट पार्क में दो सालों में पांच लोगों पर हांथियों का हमला हो चूका है। कॉर्बेट पार्क के अधिकारी कहते हैं कि कॉर्बेट के आसपास 17 ईडीसी गांव हैं। गांव वालों को इस योजना के बारे में बताया जाएगा। मधुमक्खी पालन की जिम्मेदारी विभाग के अलावा ग्रामीणों को भी दी जाएगी। मौन पालन से मिलने वाले शहद से ग्रामीणों को रोजगार का साधन भी मिलेगा। हाथियों के प्रकोप से बचने पर बेहतर फसल आदि का लाभ होगा। जल्द इस संबंध में ग्रामीणों की बैठक ली जाएगी। अब इस अनोखी योजना से उम्मीद है कि इस समस्या से निजात मिल सकेगी।

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