Special Report By – Anita Tiwari , Dehradun
Krishna Janmashtami 2022 आज के दौर में जबकि रिश्तों को संभालने और संवारने की चुनौती बढ़ती जा रही है, ऐसे में हम आपको कृष्ण की कामयाब जिंदगी के वे सात मंत्र बताने जा रहे हैं जिन्हें अपना कर आप अपने प्यार और परिवार को बिखरने से बचा सकते हैं।
Krishna Janmashtami 2022 पहला कृष्ण मंत्र – भावनाओं का करें सम्मान

Krishna Janmashtami 2022 गोकुल की तमाम गोपियों के दिलों में बसने वाले कान्हा का दिल सिर्फ राधा के लिए ही धड़कता था। राधा के जीवन में भी कृष्ण से अनमोल कोई नहीं था। इस अमर प्रेम कहानी के सूत्रधार स्वयं कृष्ण ही थे जिन्होंने अवतारी पुरुष होने के बावजूद कभी भी राधा का अनादर नहीं किया। गोपियों को छेड़ने से लेकर उनकी गगरी फोड़ने तक कृष्ण की लीलाओं से जब भी राधा खीझती थी तो उन्हें मनाने के लिए कान्हा दिन-रात एक कर देते थे। जब तक राधा रानी मान नहीं जातीं तब तक कृष्ण हार नहीं मानते थे। प्रेमी-प्रेमिकाओं और पति-पत्नी के रिश्ते को कामयाब बनाने की यह सबसे बड़ी सीख है।

दूसरा कृष्ण मंत्र – पसंद-नापसंद का रखें ख्याल
Krishna Janmashtami 2022 कान्हा को अपने दोस्तों की टोली बहुत पसंद थी। वे अक्सर गाय चराने और माखन चुराने के लिए अपनी टोली के साथ निकल जाया करते थे। राधा रानी को कृष्ण का यह फक्कड़ अंदाज बिल्कुल पसंद नहीं था। पर कृष्ण को दोस्ती के साथ-साथ प्यार निभाना भी खूब आता था। उन्हें जब भी समय मिलता वे अपनी बांसुरी लेकर यमुना के तट पर पहुंच जाते और फिर ऐसी सुरीली तान छेड़ते कि राधा उनके पास खिंची चली आती थीं। निजी जिंदगी में अपने हमसफर का दिल जीतने के लिए ऐसे जतन बेहद जरूरी हैं।

तीसरा कृष्ण मंत्र – प्यार को चाहिए प्रोत्साहन
- Krishna Janmashtami 2022 कृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो राधा मदहोश हो जाती थीं। और कृष्ण जब रास रचाते थे तो राधा सुध-बुध खोकर नाच उठती थीं। राधा-कृष्ण का एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव इसलिए इतना गहरा था कि क्योंकि दोनों एक दूसरे की कद्र करते थे। जिस तरह राधा रानी कृष्ण की कला की सराहना करती थीं उसी भाव में कृष्ण भी हमेशा उनका हौसला बढ़ाया करते थे। जब समाज ने दोनों के रिश्ते पर उंगली उठाई तब भी कृष्ण पूरी मजबूती से राथा के साथ खड़े रहे। कृष्ण तमाम गोपियों में राधा को ही सर्वश्रेष्ठ मानते थे और उनका कोई भी उत्सव राधा के बिना पूरा नहीं होता था। सीख यह है कि अगर प्यार के रिश्ते में एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहें तो संबंधों की बुनियाद कभी नहीं हिलती।

चौथा कृष्ण मंत्र – बात बिगड़े तो संभाल लें
- Krishna Janmashtami 2022 कहते हैं प्यार में तकरार न हो तो वह अधूरा है। कृष्ण और राधा का प्रेम भी इससे अछूता नहीं था। कई बार कृष्ण की बातें या बर्ताव राधा को चुभ जाया करती थीं। बाल लीला खत्म करने के बाद जब कृष्ण अपने माता-पिता को जेल से रिहा करवाने के लिए मथुरा जाने लगे तो राधा बिल्कुल तैयार नहीं थीं। वह जानती थीं कि कृष्ण को मथुरा में कंस से लड़ना है। ऐसे में कृष्ण ने अपना कर्तव्य याद दिलाते हुए राधा की उलझन दूर की और मथुरा के लिए रवाना हुए। यह प्रसंग सिखाता है कि प्यार और प्रोफेशन के बीच कैसे संतुलन बनाया जा सकता है।
पांचवां कृष्ण मंत्र – भरोसा मजबूत तो रिश्ता अटूट
- Krishna Janmashtami 2022 जिस रिश्ते में भरोसा न हो वहां प्यार नहीं टिकता। कृष्ण का प्रेम संबंध भरोसे की बुनियाद पर ही मजबूती से खड़ा रहा। राधा को पता था कि कृष्ण के जीवन का लक्ष्य कितना बड़ा है। यह भी मालूम था कि एक बार कृष्ण गोकुल से चले गए तो लौट कर नहीं आएंगे। बावजूद इसके दोनों के रिश्ते में कभी खटास नहीं आई। बाद में जब कृष्ण ने रुक्मिणी और सत्यभामा से विवाह कर लिया, तब भी दोनों का प्रेम खत्म नहीं हुआ। अपने वैवाहिक जीवन में कृष्ण ने पति और पिता का धर्म भी बखूबी निभाया। प्रेम संबंध से इतर दांपत्य जीवन में प्रवेश करने वालों के लिए कृष्ण का ये संदेश भी काफी मायने रखता है।
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