Special Report By : Anita Tiwari , Dehradun
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Uttarakhand BJP News उत्तराखंड की प्रचंड बहुमत वाली धामी सरकार अपने सभी फैसले बड़े ही कॉन्फिडेंस और धाकड़ अंदाज में ले रही है। फिर वह चाहे ब्यूरोक्रेसी में फेरबदल हो , विभागों की कार्यशैली को सख्त बनाना हो या मंत्रियों से रिपोर्ट कार्ड लेना हो …. जहां तक बात सरकार के दायरे की करें तो उत्तराखंड में धामी सरकार का किला बेहद मजबूत नजर आता है , जिसमें एक सख्त और पारदर्शी मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी का वजूद निखर कर सामने आ रहा है।
Uttarakhand BJP News उत्तराखंड में कहाँ अटकी दर्जाधारियों की लिस्ट ?
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- Uttarakhand BJP News लेकिन एक दूसरा पहलू भी है जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि सरकार से इतर संगठन और पार्टी भी है जिसने धामी सरकार को सत्ता में वापसी और सरकार बनाने में शिल्पकार की भूमिका निभाई है। 2022 की जीत में सबसे बड़ा जो किरदार रहा वह भाजपा का संगठन , उसके समर्पित नेता , कार्यकर्ता और वो वरिष्ठ रणनीतिकार हैं जिन्होंने दोबारा भाजपा को सत्ता में काबिज़ कराया है।
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Uttarakhand BJP News जातिगत और गढ़वाल कुमायूं भी साधेंगे सीएम
- Uttarakhand BJP News ऐसे में उन लोगों का इंतजार अब लम्बा होने लगा है जो भाजपा मुख्यालय में बैठकर मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी होने वाले उस आदेश का इंतजार कर रहे हैं जिसमें तमाम विभागों और निगम , आयोग में उन्हें एडजस्ट किया जाएगा। लेकिन जिस तरह से पुष्कर सरकार ने पहले 100 दिन में ताबड़तोड़ फैसले लिए उसके बाद लग रहा था कि जल्द ही संगठन के समर्पित कार्यकर्ताओं और नेताओं को सरकार सम्मान देगी , उन्हें दर्जाधारी बनाएगी। लेकिन अब 100 दिन भी बीत गया है , दिल्ली के कई चक्कर भी मुख्यमंत्री ने लगा लिए हैं , लिस्ट की बात भी कई बार मीडिया में तैरती रहती है लेकिन क्या वजह है कि मुख्यमंत्री आवास से अभी तक वह संभावित लिस्ट बाहर नहीं आ पाई है ?
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- Uttarakhand BJP News इस मामले में जब हमने भाजपा मुख्यालय के अंदर पार्टी से जुड़े नेताओं का मन टटोला तो पता चला कि कांग्रेस की तरह भाजपा में भी कई गुट है और उन गुटों में अलग-अलग कार्यकर्ताओं और नेताओं की लंबी चौड़ी फौज है। दरअसल 2022 के पहले उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री रहे और तीनों ने ही अपने-अपने नफे नुकसान के हिसाब से कार्यकर्ताओं को दर्जा धारी बनाया। कुछ खुश हुए तो बहुत से लोग नाराज भी हुए जिसका असर मुख्यमंत्री की राजनैतिक सेहत पर भी जरूर पढ़ा था। क्योंकि संगठन नाराज होगा , कार्यकर्ता असंतुष्ट होगा तो सरकार की सेहत पर भी असर पड़ना लाजमी है।
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- Uttarakhand BJP News तो क्या यह माना जाए कि धामी सरकार पर संगठन और कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने का वह दबाव बढ़ता जा रहा है जो दिख नहीं रहा है। क्योंकि प्रदेश में तीरथ , त्रिवेंद्र , निशंक , खंडूरी , मदन कौशिक , अजय भट्ट और एक दर्जन से ज्यादा ऐसे बड़े नेता हैं जो दिल्ली से देहरादून तक अपने समर्थकों को एडजस्ट करने के लिए एड़ी चोटी का जोर भी लगाते हैं। ऐसे में लंबी चौड़ी लिस्ट नहीं बनेगी और इक्का दुक्का करके भाजपा संगठन से जुड़े नेताओं को धामी सरकार एडजस्ट कर सकती है। भाजपा मुख्यालय में या यू कहे भाजपा संगठन में सरकार के मनःस्थिति को लेकर उहापोह है और वह जोश अब फिलहाल पार्टी मुख्यालय के कमरों में नजर नहीं आ रहा है जो संभावित होती है। क्योंकि ज्यादातर समय सरकार अपने एजेंडे को लागू कराने में गुजार रही है ऐसे में संगठन और सरकार के बीच इक्का-दुक्का बैठके और मुलाकाते ही मीडिया में सामने आ रही है।
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- Uttarakhand BJP News एक और मसला है जो धामी सरकार के सामने खड़ा तो है मगर नजर नहीं आता और वह है वरिष्ठता का … खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वरिष्ठ तमाम पार्टी ऐसे नेता है जिन्होंने लंबे समय तक बड़ी जिम्मेदारियां निभाई है। फिर वह चाहे कैबिनेट में हो यह संगठन में , यही वजह है कि मुख्यमंत्री धामी उनकी सिफारिशों और उनके चहेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहते हैं। लेकिन सच्चाई यह भी है कि मुख्यमंत्री धामी अपने आत्मविश्वास के आगे अब किसी की छाया में आगे बढ़ना नहीं चाहेंगे और एक स्वतंत्र और बगैर किसी दबाव के निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं। हो सकता है यही वजह हो जो इतना लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का इंतजार भी लंबा हो रहा है।फिलहाल तो इंतजार नेता भी कर रहे हैं , जनता भी कर रही है और मीडिया भी कर रही है।
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