Transgender Community जिन्हे समाज से तिरस्कार और अस्वीकार्यता मिलती थी आज वो समाज के लिए मिसाल बन गई हैं। जिस किन्नर को लोग एक ख़ास सोच और नज़रिये से देखते हैं उस समुदाय की दो सदस्यों ने अपने समुदाय का नाम रोशन किया है। जी हाँ दो ट्रांसजेंडरों ने बतौर डॉक्टर सरकारी सेवा में शामिल होकर इतिहास रचा है। ऐसा पहली बार हुआ है। प्राची राठौड़ और रूथ जॉन पॉल ने हाल ही में सरकारी उस्मानिया जनरल अस्पताल (ओजीएच) में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला।

Transgender Community पर्सनल लाइफ के बड़े से बड़े चैलेंज को पार कर अपनी मेडिकल एजुकेशन पूरी करने वाले तेलंगाना के दो ट्रांसजेंडरों ने बतौर डॉक्टर राज्य में सरकारी सेवा में शामिल होकर इतिहास रचा है। ऐसा पहली बार हुआ है। प्राची राठौड़ और रूथ जॉन पॉल(Prachi Rathod and Ruth John Paul) ने हाल ही में सरकारी उस्मानिया जनरल अस्पताल (ओजीएच) में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला। जानिए एक संघर्ष से जीत की कहानी…
Transgender Community कलंक झेलते हुए पढ़ाई पूरी की


Transgender Community डॉ. प्राची राठौड़ पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली गए थे, लेकिन प्रतिकूल माहौल के कारण उन्हें हैदराबाद लौटना पड़ा। हालांकि राठौड़ ने यहां एक अस्पताल में काम करते हुए इमरजेंसी मेडिसिन में डिप्लोमा किया था। प्राची राठौड़ ने तीन साल तक शहर के एक सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में काम किया .. हालांकि प्राची राठौड़ ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था, लेकिन 11वीं और 12वीं कक्षा के दौरान सबसे बड़ी चिंता यह थी कि अन्य छात्रों से अपने उत्पीड़न और बदमाशी( harassment and bullying) से बचा जाए? प्राची ने कहा-“वास्तव में यह एक बुरी किशोरावस्था थी। डॉक्टर बनने के बारे में सोचने से ज्यादा बड़ा मुद्दा यह था कि जीवन में कैसे बचा जाए और इन सभी से कैसे पार पाया जाए?”

Transgender Community डॉ. प्राची ने कहा, “जब आपने हमें तीसरे लिंग के रूप में कैटिगराइज्ड किया है, तो मैं सिर्फ सरकार या उस व्यक्ति से पूछना चाहता हूं जिसने हमें अलग किया (जैसा कि) पहला लिंग कौन है और दूसरा लिंग कौन है? डॉ. रूथ जॉन ने अपने साथ हुए सामाजिक कलंक और भेदभाव को याद करते हुए कहा-“मैंने अपने जेंडर के कारण बचपन से ही बहुत संघर्ष किया है। डॉक्टर बनने के सपने ने मुझे और मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। मुझे समाज, दोस्तों और रिश्तेदारों से कई कलंक का सामना करना पड़ा। हालांकि, मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और मैं इसके लिए सुपरिटेंडेंट और सभी फैकल्टी को धन्यवाद देना चाहता हूं, क्योंकि मैं यहां उनके सपोर्ट के कारण हूं।”
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