देहरादून से आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
Dehradun Mayor उत्तराखंड में 100 नगर निकायों के लिए बीती 23 जनवरी को मतदान हुआ था। इनमें 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद और 46 नगर पंचायत शामिल हैं। 25 जनवरी को मतगणना के बाद 31 जनवरी को नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों के बोर्ड गठन की अधिसूचना जारी की गई। इसके एक सप्ताह के भीतर शपथ ग्रहण के साथ ही बोर्ड की पहली बैठक करवाई जानी अनिवार्य है। लिहाजा, बुधवार दोपहर शासन की ओर से शहरी विकास विभाग के अपर सचिव गौरव कुमार ने दोनों मंडलों के आयुक्तों व सभी जिलों के डीएम को पत्र जारी करते हुए 7 फरवरी तक शपथ ग्रहण व नव-निर्वाचित बोर्ड की पहली बैठक करा लेने के निर्देश दिए।
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शासनादेश जारी होते ही देहरादून नगर निगम समेत सभी निकायों में तैयारियां तेज कर दी गईं। मंत्रणा के बाद यही तय हुआ कि शपथ ग्रहण समारोह शुक्रवार दोपहर को आयोजित किया जाएगा। नगर निगम के मेयर को मंडलायुक्त शपथ दिलाते हैं और उसके बाद मेयर नव-निर्वाचित पार्षदों को शपथ दिलाते हैं। ग्रहण समारोह नगर निगम परिसर में ही होना है। निगम प्रशासन पिछले कुछ दिन से वहां साफ-सफाई में जुटा था। लेकिन, तारीख तय होने के बाद बुधवार देर शाम से वहां युद्धस्तर पर काम शुरू हो गया। रोड रोलर और जेसीबी लगाकर मैदान को समतल किया जा रहा है।
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वहीँ कांग्रेस ने आनन-फानन में शपथ ग्रहण समारोह और बोर्ड बैठक संबंधी शासनादेश पर सवाल उठाए हैं। उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा है कि 31 जनवरी को अधिसूचना जारी हुई और शपथ ग्रहण के लिए पत्र जारी हो रहा है 5 फरवरी को। उनका कहना है कि यदि 31 जनवरी से 7 दिन गिने जाएं, तो 7 फरवरी तक सभी को शपथ ग्रहण समारोह कर लेना है। ऐसे में 5 फरवरी को पत्र जारी करके कैसे अपेक्षा की जा सकती है कि 2 दिन के भीतर सभी शपथ ग्रहण कर लें? दूसरी ओर देहरादून के दो बार मेयर रह चुके विधायक विनोद चमोली का कहना है कि 7 फरवरी तक पहली बोर्ड बैठक की जानी जरूरी है। लेकिन, यह बैठक अलग से करने या इसके लिए अलग से एजेंडा जारी करने की आवश्यकता नहीं होती। दरअसल, नव-निर्वाचित मेयर व सदस्य को शपथ बोर्ड बैठक में ही दिलाए जाने का प्रावधान है। लिहाजा, शपथ ग्रहण समारोह को ही बोर्ड बैठक मान लिया जाता है।